छतरपुर: कहते हैं यदि मन में तम्मना हो तो पत्थर में फूल उगाए जा सकते हैं और पहाड़ को काटकर भी पानी निकाला जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, छतरपुर जिले के बड़ामलहरा ब्लॉक के एक छोटे से गांव अंगरोठा की महिलाओं ने इन महिलाओं ने ऐसा कार्य किया है जो आज सभी के लिए मिसाल बन चुका है इस पंचायत की लगभग 100 से ज्यादा महिलाओं ने 107 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर रास्ता बना लिया। ये रास्ता ऐसा है जो ग्रामीणों के आने-जाने के लिए तो मददगार है ही।
उससे ज़्यादा महत्व इस बात का है कि उस रास्ते के ज़रिए अब गांव के तालाब में पानी भरने लगा है। छतरपुर बुंदेलखंड का वो इलाका है जहां सूखा और पानी की किल्लत हमेशा बनी रहती है। इससे परेशान महिलाओं अपनी सूझबूझ और कड़ी मेहनत से ये कमाल कर दिखाया। उन्हें इस काम में एक NGO ने मदद की। गांव की इन महिलाओं ने जब अपने इरादे बताए तो प्रशासन के कहने पर वन विभाग के साथ सामंजस्य स्थापित किया। फिर 107 मीटर के पहाड़ को काटा गया और अब इस 40 एकड़ के तालाब में लगभग 70 एकड़ में पानी भर रहा है. सूखे हुए कुएं में पानी आ चुका है।

जो हैडपंप सूख गए थे अब वह पानी देने लगे हैं। महिलाओं की इस पहल से अब केवल गांव वाले ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लोग खुश हैं। अब उन्हें खुशहाली नजर आ रही है। महिलाओं की यह जीत है, पहले पहाड़ों के जरिए बरसात का पानी बहकर बर्बाद हो जाता था। लेकिन अब इस पानी को सहेज कर महिलाओं ने गांव की दशा और दिशा बदलने का प्रयास किया है।
दस साल पहले 40 एकड़ में बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत ये तालाब बनाया गया था। लेकिन इस इलाके में बारिश कम होने और तालाब में बरसात का पानी पहुंचने का जरिया न होने से यह तालाब सूखा पड़ा रहता था। इस एक तालाब के भरने से अब इलाके के किसान खेती के सुनहरे भविष्य की कल्पना कर रहे हैं। 100 से ज्यादा महिलाओं ने श्रमदान कर अपने गांव की खुशहाली के लिए मेहनत की है। इस काम में 18 महीने लगे।
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